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What is importance of Agreement to Sell ( Full Detail)  ये क्या, क्यूँ और कैसे बनाते है
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What is importance of Agreement to Sell ( Full Detail) ये क्या, क्यूँ और कैसे बनाते है

Apr 7, 2024

guruciti.com मे आपका स्वागत है जहाँ हम Different Different Topics पर आपका Knowledge Enhance करके Update रखते है। इस Blog / Article में मैं आपसे बात करने वाला हूँ Agreement For Sell of Property के बारे मे। अब ये Agreement For Sell होता क्या है? पहली बात तो ये कि ये जो Agreement होता है। ये Sale Deed से एकदम अलग होता है और Sale Deed होने से पहले होता है। इसमें सारी की सारी Terms and Conditions लिखी जाती है कि Sale Deed किस हिसाब से होगी, क्या Payment होगी, क्या Payment का Schedule होगा। तो इस Agreement के अंदर क्या क्या Terms and Conditions लिखी जाती है वो हम समझेंगे, Property का Buying Process क्या होता है वो मैं आपको Step by Step बताऊँगा और Agreement for sale वहाँ पे कहाँ पे फिट होता है ये बताऊंगा, Agreement के सभी important clauses बताऊंगा और उनको समझाऊंगा कि जिन बातों पे आपको Actually ध्यान देना चाहिए ।

हाँ तो Agreement For Sale को समझने के लिए सबसे पहले हम Property की Buying और Selling Process को समझ लेते हैं कि किस तरीके से Property खरीदी या बेची जाती है।…तो मान लीजिए कोई Property है जिसको आप खरीदना चाहते हैं और Seller इसको बेचना चाहता है जो इसका Owner है तो सबसे पहला Step उसके अंदर आ जाता है कि आप उसका Price Negotiate करेंगे कि कितने Price में आप उसको खरीदने के लिए तैयार है और Seller भी मान लीजिए उस Price पे Agree कर लेता है, तो उसके बाद Next Stage आती है कि आप उसको Advance देंगे। अब ये अडवांस कितना होगा? ये Generally 10% होता है। जितना भी आपने Sale Price यहाँ पे Agree किया है, उसका 10% Generally advance होता है। अब जब आप ये advance देंगे तो उसी के साथ साथ ये आप Agreement for sale को भी execute करतें है…

तो ये Agreement For Sale अगला Step आ जाता है ।… हाँ तो Agreement for sale होता क्या है ? इसके अंदर सारी की सारी Terms and Conditions लिखी जाती है कि Property किस तरीके से sell होगी, किस तरीके से क्या क्या Rights है,Buyer और Seller के और क्या Default Panelty हो सकती है? किस तरीके के Clauses होंगे? अगर कोई Buyer Default करता है या Seller Dafault करता है तो उसके बारे में हम अभी Detail मे समझेंगे। तो जब आप एक Agreement for sale को execute करते हैं, उसके बाद आपको उसको Notarised कराना होता है किसी भी नोटरी से और साथ में Agreement to Sell के अंदर एक Payment Schedule भी लिखा जाता है की किस तरीके से Payments होगी और जब Payments Complete हो जाती है, उसके बाद Sale deed Execute होती है तो ये जो Sale deed होती है ये आपका Final document होता है जिससे Ownership ट्रांसफर होती है Seller से Buyer की तरफ और ये जो Sale deed होती है इसको आपको Registrar office मे Registered कराना होता है । तो अगर आप अपनी Sale deed को Registered नहीं कराएंगे तो वो Legally Valid नहीं बनी जाएगी। तो इसको Registered कराना बिल्कुल जरूरी होता है और उसके बाद ही OWNERSHIP ट्रांसफर होती है। तो ये तो हो गया प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने का Process जिससे प्रॉपर्टी ट्रांसफर हो जाती है Seller से Buyer की तरफ ।

अब हम Detail मे ये जान लेते हैं कि किस तरीके के Terms and Conditions लिखे जाते हैं Agreement for Sale अंदर तो Agreement for sale के अंदर सबसे पहले आ जाती है Details of Property, Seller and Buyer और उसके बाद अब Property का क्या address है, कितना Area है, उसका क्या उसका Discription है, वो आ जाता है, Seller की Details आ जाती है की उसका Permanent address क्या है, Father’s Name क्या है, उसका अपना नाम क्या है? Buyer का भी नाम address इत्यादि ये सब आ जाता है

उसके बाद आपने कितना Price agree करा वो Detail आ जाती है…. फिर Payment और Time Schedule आ जाता है कि कितने महीने का Seller आपको टाइम दे रहा है पेमेंट करने का तो Generally दो से तीन महीने मिलते है Payment Schedule के.. तो यहाँ पे ये बात होती है कि दो से तीन महीने के अंदर आपको पूरी पेमेंट करनी होती है। उसके बाद Earnest मनी क्या होता है, ये Advance होता है जिसे हम Generally 10% Submit कराते हैं। तो ये क्या होता है कि अगर मान लीजिए आपने deal से Backout किया तो ये आपका जो Earnest मनी होता है ये फोर फिट हो जाता है। ये जब्त हो जाता है। ये आपका Loss हो जाता है एक तरीके से तो उसके बारे में भी हम जायेंगे। हाँ तो ये हो गई बात Payment schedule की, Earnest मनी की। उसके बाद Default Penalty लिखी जाती है। मान लीजिए Buyer पीछे हटता है, अपना खरीदने से और Seller बेचने से पीछे हटता है तो किस तरीके की पेनल्टी लगेंगी? उसके बाद Seller को एक Diclaration देनी होती है कि वो सारे के सारे Dues को Sale deed से पहले Clear करेगा, बिजली, पानी, Loan, Property Tax, Maintenance Tax etc को Clear करेगा। ये सारे के सारे Dues clear करने के बाद ही Sale deed execute होती है। उसके बाद Seller को एक और Diclaration देनी होती है उसकी ये Property हर तरह से साफ सुथरी है, किसी 3rd पार्टी का कोई claim नहीं है, बैंक का Loan नहीं है, Court case नहीं है, Contracter इत्यादि किसी भी 3rd पार्टी का कोई claim नहीं होना चाहिए।तो ये तो सारी हो गई Major terms and conditions जो Agreement के अंदर लिखी जाती है। अब हम actual मे समझ लेते है….

सबसे पहले तो आप एक Stamp पेपर खरीदेंगे जिसको generally Buyer खरीदता है, फिर उसमे Property का discription आ जाता है, फिर दोनों पार्टियों की details आ जाती है उसके बाद stamp duty pay करने वाले buyer का नाम भी stamp paper के front पेज पर दोबारा से mentioned होता है।… उसके बाद 2nd पेज से सारी conditions लिखी जाती है जिसमे सबसे पहले तो Date आ जाती है कि ये agreement कब execute हुआ था… फिर 1st पार्टी यानि Seller की details आ जाती है और उसी तरह से Buyers की ( Joint name भी हो सकते है ) details आ जाती है — Property की complete details आ जाती है ( उसका address, type, category, size, area, Location और Direction ) के बाद Mentioned होता है कि ये Property किसी भी तरह के Disputes, encumbrances से बिलकुल Free है, कोई court case नहीं है, कोई दूसरी deed ( gift deed, decree इत्यादि नहीं है, दूसरा agreement भी नहीं है,loan इत्यादि भी नहीं है ).. Agreed Price, Period, और Violation करने पर Penalty clause की line आगे mentioned होती है..Seller द्वारा complete पेमेंट मिलने के बाद सभी original documents को सोम्पने की बात भी mentioned होती है और Registration से संबंधित Process मे पूरा सहयोग करने की भी बात लिखी हुई होती है। इस प्रकार से आप सभी संबंधित Points और clauses को लिखकर एक ऐसा agreement तैयार करवा सकते है जो दोनों Parties के लिये agreeable हो।

आशा है आपको ये जानकारी काफी उपयोगी लगी होगी।

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